धमाका :HIMACHAL की राजनीति में बड़ा धमाका, आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश के स्टेट युथ प्रेजिडेंट पूर्व श्री विशाल राणा अपने हज़ारों समर्थकों सहित कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल
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आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश के स्टेट युथ प्रेजिडेंट पूर्व श्री विशाल राणा अपने हज़ारों समर्थकों सहित कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल
Shimla
INDIA REPORTER TODAY Bureau
अति विशिष्ट विश्वसनीय सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार एक बड़ी राजनीतिक उठा-पटक के चलते आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश के पूर्व स्टेट यूथ प्रेजिडेंट श्री विशाल राणा अपने हज़ारों समर्थकों समेत कांग्रेस पार्टी जॉइन करने के मूड में हैं।
यह भी खबर मिली है कि इस संदर्भ में कांग्रेस के कुछ नेता व अन्य उनके साथ पिछले कुछ दिनों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि यदि विशाल राणा को पार्टी कोई महत्वपूर्ण ओहदा देती है तो वह कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं।
ग़ौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के कुछ कर्णधारों द्वारा विशाल राणा की पिछले कुछ समय से चल रही उपेक्षा का राजनीतिक लाभ अन्य पार्टियां उठाने की फ़िराक में हैं क्योंकि सभी दल राणा की प्रगतिशील कार्यशैली के कायल हैं तथा इस चुनावी वर्ष में जबकि आम आदमी पार्टी हिमाचल में अपने पैर पसार चुकी है तथा भाजपा की तर्ज़ पर पार्टी कैलेंडर बांट कर मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल व आम आदमी पार्टी की रणनीति, वादों व राजनीतिक इच्छाशक्ति से जनता को रूबरू करवा रही है। आम जनता का मानना है कि दिल्ली सरकार का मॉडल हिमाचल में देखने के लिये लोगों में काफी उत्साह है तथा वह तीसरे विकल्प को चुनने की पक्षधर नज़र आ रही है।
सूत्रों की मानें तो विशाल राणा को यदि इस समय कोई भी पार्टी आम आदमी पार्टी से तोड़ने में सफल होती है तो आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका दे सकती है। इलेक्शन ईयर में यह चोट सोने पे सुहागे का काम कर सकती है।
खबर की सत्यता जानने के लिये छानबीन करने पर पता चला कि विशाल राणा किसी भी वक्त पलटी मार सकते हैं जो आम आदमी पार्टी के लिए करार झटका साबित हो सकता है तथा आप की तेज़ीसे निखरती हुई छवि धूमिल हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो श्री अरविन्द केजरीवाल का हिनाचल विजय करने के प्लान को गहरा धक्का लग सकता है।
जानकारी के अनुसार विशाल राणा को आम आदमी पार्टी ने जब प्रदेश यूथ प्रेजिडेंट बनाया था तो उन्होंने मात्र एक साल में ही प्रदेश में एक बड़ा संगठन खड़ा कर दिया था तथा पार्टी को खास पहचान दिलाई थी। इससे AAP का आधार काफी मजबूत हुआ था। उनकी कार्यप्रणाली से खुश होकर पार्टी के केन्द्रीय संगठन ने उनकी तारीफ भी की थी।
विशाल राणा ने जो पार्टी के लिए काम किया था उससे ऐसे कई पूर्व विधायक और सांसद जिन्हें उनके दलों से उपेक्षा मिल रही थी वे सब AAP जॉइन करने की इच्छा जता रहे थे।
विभिन्न तबकों के लोगों व राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने बताया कि इतिहास गवाह है कि विशाल राणा ने गुड़िया जघन्य बलात्कार प्रकरण में दोषियों को सज़ा दिलवाने के लिए AAP की ओर से ज़बरदस्त रैलियां निकाल कर हिमाचल में आम आदमी पार्टी में नई जान डाली थी तथा पार्टी को काफी वाहवाही व मज़बूत आधार मिला था। 68 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर पर लोगों को जोड़कर उन्होंने एक कीर्तिमान स्थापित किया था।
इसके अतिरिक्त कोरोना काल में पूरे हिमाचल प्रदेश में मुफ्त ऑक्सिमीटर आबंटन ड्राइव को सफलतापूर्वक चलाने पर भी पार्टी का जनाधार मज़बूत हुआ था तथा लोग भारी मात्रा में आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ने लगे थे लेकिन एकाएक पार्टी के कुछ नेताओं ने उनकी बढ़ती प्रतिष्ठा से ईर्ष्या करनी शुरू कर दी। विशाल राणा की हौंसला अफ़ज़ाई करने की जगह उल्टा उन्हें इग्नोर करना शुरू कर दिया जिससे उनकी आत्मा व प्रतिष्ठा को धक्का लग्न लाज़मी था। मामला शायद पार्टी संयोजक श्री अरविन्द केजरीवाल तक नहीं पहुंचा वरन वह स्थिति को संभाल सकते थे।
ऐसे समय में जब इलेक्शन सिर पर हैं और AAP का ग्राफ काफी ऊपर जा रहा है तो किसी कद्दावर नेता द्वारा AAP छोड़ कर दूसरे दल में शामिल होने से राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है।
अब सभी आंखें गड़ाए बैठे हैं कि आने वाले कुछ दिनों में विशाल राणा कब और क्या बड़ा राजनीतिक हंगामा करते हैं और कड़कती ठण्ड में प्रदेश की राजनीति में गर्माहट लाते हैं।
जिस तरह से AAP के प्रदेशाध्यक्ष अनूप केसरी की आपत्तिजनक करतूतों के राज खुल रहे हैं, CDs वायरल हो रही हैं, उससे स्पष्ट होता है कि AAP हिमाचल संगठन बहुत गलत हाथों में जा चुका है। पार्टी हाईकमान ने कभी ऐसी कल्पना भी नहीं की होगी।
अब ये नेता खुद को पाक-साफ बनाने की खातिर इस तरह की और वीडिओज़ भी बनाएंगे जिसको अनुशासन कमेटी पास भी कर देगी और फिर कई और वीडियो निकलेंगे, बस अब आम आदमी पार्टी इसी पर काम करेगी खुद को संभालने के लिये।
क्या इसीलिए अनूप केसरी को प्रधान, ओर रत्नेश को प्रभारी बनाया गया था।
लोगों का कहना है कि संगठन वाकई में बहुत गलत लोगों के हाथों में जा चुका है जो किसी भी तरह से अरविन्द केजरीवाल की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सकते।
हालात के मुताबिक किसी को तो कदम उठाना ही चाहिए। अगर दिल्ली वाले कुछ नही करते है तो प्रदेश के सारे वालंटियर्स को किसी एक जगह एकत्र हो अपनी ताकत का प्रदर्शन करना होगा और पैरेलल एक स्टेट बॉडी बनानी होगी।
अगर समय रहते AAP ने पार्टी कार्यकर्ताओं की सही परख नहीं की तो परिणाम गंभीर होने के आसार हैं और मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल को इसका अतिशीघ्र संज्ञान लेना चाहिए अन्यथा हिमाचल उनके हाथों से बहुत दूर जा सकता है।