जग्गी के 10 हज़ार से अधिक मतों से जीतने के आसार, बागी सुधीर शर्मा से लोग बेहद ख़फ़ा, मतदाता बोले…सुधीर र्ज! यह पब्लिक है, यह सब जानती है, कदै इस फुल ते, कदे उस फूल ते, सुधीर मेरा तितलियां वरगा

अन्दर क्या है, बाहर क्या है, यह सब कुछ पहचानती है

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धर्मशाला समेत पूरे हिमाचल प्रदेश के मतदाता इतने समझदार है कि वे जानते हैं कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई और सफलता पूर्वक चल रही कांग्रेस की सुक्खु सरकार के साथ मिलकर जो फायदा है वह हारे हुए बाग़ियों के साथ चलने में कहां? मुख्यमंत्री का वादा है कि जग्गी के जीतते ही धर्मशाला की जनता कज झोलियाँ खुशियों से भर दी जाएंगी*

Sukhu Govt
Sukhu sarkar

मुझको गम है तेरी बेवफ़ाई का…

धर्मशाला छोड़कर वापिस अपने घर बैजनाथ जाने का वक्त आ चुका है करीब…4 जून को रवानगी तय

सुधीर की गद्दारी से बेहद ख़फ़ा होकर यह कह रहे हैं धर्मशाला के जागरूक मतदाता…

Rajesh Suryavanshi, Editor-in-Chief, HR MEDIA GROUP, CHAIRMAN : Mission Again st CURRUPTION, H.P., Mob : 9418130904, 898853960)

अपना स्वार्थ साधने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को बिना किसी वजह गिराने की घिनोनी साज़िश रच कर चंद माह बाद ही प्रदेश को उपचुनाव की भट्ठी में झोंक कर जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाने वाले, अपने फ़ायदे की खातिर, जनता का अरबों का नुकसान करवाने व कड़कती धूप में उनका वेश कीमती समय बर्बाद करने वाले बाग़ियों के सरदार को हम कड़ा सबक सिखा कर ही दम लेंगे। इनकी ज़मानत तक ज़ब्त करवा कर छोड़ेंगे ताकि भविष्य में कोई भी राजनेता जनता के साथ धोखाधड़ी करने की हिम्मत न कर सके।

मतदताओं ने वताया की सुधीर शर्मा ने अपना स्वार्थ सिद्ध करने के उद्देश्य से पिता समान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के उपकारों को लात मार दी। उनके एहसानों का बदला उन्हें ठोकर मार कर, पार्टी की पीठ में तेजधार छुरा घोंप कर, खून से लथपथ करके चुकाया।

जिन मतदाताओं ने पार्टी की सोच की सोच को आगे बढ़ाते हुए पूरे 5 साल के लिए विधानसभा में भेजा था ताकि वह जनता की पूरी निष्ठा, ईमानदारी और कठिन परिश्रम से जनता की सेवा कर सके लेकिन सुधीर और उनके 8 साथियों ने विपक्ष द्वारा मंत्री बनाए जाने के झांसे में आकर मां समान पार्टी के मान;सम्मान को ठोकर मार कर विरोधी पक्ष के साथ हाथ मिलाकर एक सोची-समझी साज़िश के अंतर्गत राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ क्रॉस वोटिंग करके विपक्ष को अनुचित लाभ देते हुए डिसक्वालिफाई होकर कांग्रेस की सुक्खू सरकार को जड़ से उखाड़ कर फेंकने और विपक्ष की सरकार बनाने की कोशिश करने की गंदी साज़िश को अंजाम दिया।
लेकिन भाग्य ने इस बार भी उनके साथ नहीं दिया और ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने  बड़ी सूझबूझ और बहादुरी के साथ अपनी सरकार को बचा लिया तथा विपक्ष और आठ विधायकों की गंदी नियत को नंगा कर के उनकी बनी-बनाई साज़िश को नाकाम करते हुए उनके गंदे मंसूबों पर पानी फेर दिया।

कथित खरीदो-फरोख्त के इस सारे प्रकरण में विपक्ष की घोर बदनामी तो हुई ही साथ ही इन आठ विधायकों के चेहरे भी बेनकाब हो गए जो लगभग एक महीने तक भाजपा के सीनियर नेताओं के साथ गायब रहे। इस दौरान हिमाचल प्रदेश में राजनीति का इतना नंगा नाच हुआ जिसे इतिहास कभी भूल नहीं पाएगा।

सत्ता दोबारा प्राप्त करने की बेसब्री और लालच में विपक्ष धन-बल की इतनी घिनोनी राजनीति खेल गया जिसे जनता कभी भूल नहीं पाएगी।

एहसान फरामोश सुधीर बेवफ़ा….

दिने साडे नाल

राती किसे होर नाल

बल्ले ओए चलाक सजणा

कदे इस फुल ते,

कदे उस फूल ते,

माही मेरा

तितलियां वरगा

विपक्ष और यह आठ नेता खरीदो-फरोख्त की बात को जितना मर्जी छुपाए लेकिन मतदाता सब कुछ जान चुके हैं उन्हें अब कुछ भी बताने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि
*लाख छुपाओ छुप न सकेगा, दाग़ है इतना गहरा, दिल की बात बता देता है असली-नकली चेहरा।।*

“जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग

एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग”

विपक्ष की चाल में आकर इन 8 विधायकों ने सत्ता प्राप्ति हेतु इतनी भयंकर साज़िश रची जो इन पर और भाजपा पर ही भारी पड़ गई। सबका असली चेहरा बेनकाब हो गया और मुख्यमंत्री सुक्खू एक बार फिर विजयी होकर पहले से अधिक शक्तिशाली बन कर वापिस लौटे
सुधीर शर्मा और उनके साथियों का कांग्रेस पार्टी के प्रति दगा और गद्दारी का कृत्य किसी भी दृष्टिकोण से माफी के लायक नहीं है। सुधीर शर्मा, जो एक समय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश सरकार में आवास, शहरी विकास और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग मंत्री थे, ने खुद को मंत्री पद न मिलने पर अपनी पार्टी को धोखा दिया और सुक्खू सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की। यह विश्वासघात उनकी नैतिकता और ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

सुधीर शर्मा ने वीरभद्र सिंह जैसे महान नेता के प्रति कृतघ्नता दिखाई, जिन्होंने उन्हें बैजनाथ से धर्मशाला लाकर राजनीतिक जीवन में ऊँचाईयों तक पहुँचाया। वीरभद्र सिंह के उपकारों को दरकिनार कर, सुधीर ने उनकी पीठ में छुरा घोंप दिया। यह केवल वीरभद्र सिंह के प्रति नहीं, बल्कि पूरे कांग्रेस परिवार के प्रति विश्वासघात था। गद्दारी की ऐसी मिसाल इतिहास में कहीं देखने को नहीं मिलती।

इसके अलावा, सुधीर शर्मा ने अपने पांच साथी विधायकों को भी अपने साथ मिलाकर उनका राजनीतिक कैरियर बर्बाद कर दिया। इनमें से तीन निर्दलीय विधायकों को भी उन्होंने अपनी गंदी राजनीति का शिकार बनाया। यह केवल एक व्यक्ति का धोखा नहीं, बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी के साथ एक संगठित साजिश थी। ऐसे विधायकों को पार्टी ने सही कदम उठाते हुए बाहर कर दिया, ताकि उनकी गद्दारी का और नुकसान न हो सके।

अब यह विधायकों का समूह, जो कभी कांग्रेस का हिस्सा था, भाजपा के साथ मिलकर धर्मशाला विधानसभा उपचुनाव लड़ रहा है। इन गद्दारों का उद्देश्य केवल अपनी सत्ता की भूख को पूरा करना है, न कि जनता की सेवा करना। इनके कार्यों ने इन्हें जनता के सामने नंगा कर दिया है और इन्हें अब अपने ही कर्मों का परिणाम भुगतना पड़ेगा। परिणाम स्वरूप सीधे-साधे, भोलेभाले, ईमानदार, जनजन के प्यारे, लगातार 6 चुनाव जीतने वाले, देवेंदर जग्गी 10 हज़ार से अधिक मतों से धर्मशाला उप चुनाव जीतेंगे ऐसा लोगों का मानना है।

इसके विपरीत, कांग्रेस के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पार्टी और प्रदेश के प्रति अपनी वफादारी और नेतृत्व क्षमता को हमेशा सर्वोपरि रखा है। सुक्खू सरकार ने विकास और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। उन्होंने प्रदेश में बेहतर प्रशासन और जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करके जनता का विश्वास जीता है। सुक्खू का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी को मजबूती और स्थिरता प्रदान करता है, जबकि सुधीर शर्मा और उनके साथियों की गद्दारी ने केवल पार्टी की छवि को धूमिल करने का काम किया है।

सुक्खू सरकार ने प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और जनहितकारी नीतियों ने हिमाचल प्रदेश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है। सुक्खू ने दिखाया है कि सच्चा नेतृत्व कैसा होता है – एक ऐसा नेतृत्व जो जनता की सेवा में निरंतर तत्पर रहता है और अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को दरकिनार कर समाज की भलाई के लिए कार्य करता है।

विश्वस्त सूत्रों के हवाले से खबर मिकी है कि सभी बागी बहुत जल्द कांग्रेस में वापिसी का मन बना रहे हैं। जब इस बारे में मुख्यमंत्री सुक्खू जी से पूछा गया तो उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया कि अब वो वापिसी के लम्हे गुज़र चुके हैं। 

Chief Minister S.S. Sukhu

अब बिका हुआ माल किसी कीमत पर वापिस नहीं होगा।

सुधीर शर्मा और उनके साथियों के कृत्य केवल व्यक्तिगत स्वार्थ और सत्ता की भूख को दर्शाते हैं, जबकि सुखविंदर सिंह सुक्खू का नेतृत्व प्रदेश और पार्टी दोनों के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। सुक्खू का यह निस्वार्थ सेवाभाव और समर्पण ही कांग्रेस पार्टी की सच्ची पहचान है, जो किसी भी गद्दार की हरकतों से प्रभावित नहीं हो सकती।

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