क्या ओलंपिक बनेगा सुपर स्प्रेडर?

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तोक्यो: ओलंपिक खेलों के लिए आ रहे कई विदेशी एथलीट बिना वैक्सीन लिए अपनी स्पर्धाओं में उतरेंगे। इससे इस आयोजन के कोरोना वायरस महामारी का सुपर स्प्रेडर साबित होने का अंदेशा बढ़ता जा रहा है। गौरतलब है कि तोक्यो ओलंपिक खेलों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं लागू किया गया है कि खेलों में भाग लेने के लिए टीकाकरण जरूरी है।
वैक्सीन लगवाने से खिलाड़ियों का इंकार
अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक वहां के कुछ एथलीटों ने अपनी स्पर्धाओं से ठीक पहले वैक्सीन लगवाने से इंकार कर दिया है। अमेरिका की ओलंपिक समिति ने ये नियम लागू किया है कि जापान जा रहे कोच और सपोर्ट स्टाफ के लिए वैक्सीन लेना अनिवार्य है। लेकिन एथलीटों के लिए ऐसी अनिवार्यता तय नहीं की गई है। गुरुवार को तैराक माइकल एंड्र्यू का बयान अमेरिकी मीडिया में छपा। इसमें उन्होंने आशंका जताई कि वे वैक्सीन लगवाने का खराब असर उनके प्रदर्शन पर पड़ सकता है। इसलिए उन्होंने कहा कि उन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाने का फैसला किया है।
वैक्सीन की कमी नहीं
पर्यवेक्षकों के मुताबिक अमेरिका में वैक्सीन की कमी की समस्या नहीं है। इसलिए वहां के जिन एथलीटों ने इसे नहीं लगवाया, उन्होंने ऐसा जानबूझ कर किया। लेकिन दुनिया के कई देशों में वैक्सीन की कमी की समस्या भी रही है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक वेनेजुएला और नाईजीरिया अपने बड़े दल ओलंपिक खेलों के लिए भेज रहे हैं। जबकि ये दोनों देश ऐसे हैं, जहां उनकी आबादी के सिर्फ एक फीसदी हिस्से का पूरा टीकाकरण हुआ है। अलग-अलग देशों में इस मामले में अलग नीति अपनाई गई। ऑस्ट्रेलिया ने पिछले अप्रैल में एलान किया था कि वह प्राथमिकता के आधार पर ओलंपिक में जाने वाले अपने खिलाड़ियों को टीका लगाएगा। जबकि कई दूसरे देशों में ऐसा नहीं हुआ।
फ्री टीके पर संशय
अमेरिका में जापान जाने वाले एथलीटों के लिए दो खास टीका केंद्र बनाए गए हैं। बीते मई में फाइजर कंपनी ने एलान किया था कि वह ओलंपिक में जाने वाले खिलाड़ियों को प्राथमिकता के आधार पर टीका उपलब्ध कराएगी। तब उसने दूसरे देशों के एथलीटों को भी मुफ्त में टीका मुहैया कराने की घोषणा की थी। लेकिन उसके टीके को अलग-अलग देशों में पहुंचाना एक समस्या बनी रही। हाल में फाइजर ने इस बारे में पूछे जाने पर कोई जवाब नहीं दिया कि उसकी योजना के तहत असल में कुल कितने एथलीटों को टीका लगा। चीन ने भी घोषणा की थी कि वह टोक्यो और अगले साल बीजिंग में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को मुफ्त टीका मुहैया कराएगा। लेकिन असल में उसकी घोषणा से कितने खिलाड़ियों को लाभ हुआ, इसका कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।
बिना टीका लगे आएंगे खिलाड़ी
जापानी मीडिया के मुताबिक अब यह तय है कि बहुत से एथलीट बिना टीका लगवाए टोक्यो पहुंचेंगे। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के प्रवक्ता ने कहा है कि ओलंपिक खेलों के सिलसिले में लगभग 85 फीसदी ऐसे व्यक्ति टोक्यो आएंगे, जिन्हें टीका लग चुका होगा। लेकिन प्रवक्ता ने यह साफ नहीं किया कि जो खिलाड़ी आएंगे, उनमें कितने ऐसे होंगे, जिन्हें टीका लगा होगा। आईओसी के सभी कर्मचारियों को टीका लगाने का इंतजाम टोक्यो में किया गया है। यहां आने वाले 70 से 80 फीसदी पत्रकारों को भी यहां टीका लग जाएगा, ऐसा अनुमान है।
सुपर स्प्रेडर की आशंका
लेकिन इसके बाद भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग टोक्यो में मौजूद रहेंगे, जिन्हें टीका नहीं लगा होगा। इसीलिए टोक्यो ओलंपिक के कोरोना संक्रमण का सुपर स्प्रेडर साबित होने की आशंका गहराई है। कुछ विशेषज्ञों ने अंदेशा जताया है कि कुछ खिलाड़ी संक्रमण का लक्षण होने के बावजूद उसे छिपाने की कोशिश कर सकते हैँ। जिस ओलंपिक के लिए उन्होंने वर्षों से तैयारी की है, वे कतई नहीं चाहेंगे कि कोविड-19 के कारण उन्हें उससे बाहर होना पड़े।

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